पंखुरी

:पंखुड़ी:

कोमल पंखुड़ी से 
वो तेरे एहसास... 
साथ के हर लम्हें, 
हमेशा रहेंगे ख़ास....
वो गुलाब अब खूबसूरत 
कहां...?
पंखुरी में जिसकी तेरी 
पलक नहीं ...
परछाईं में तेरी अब 
झलक नहीं...
तुमने यू रिश्ता जो तोड़ा, 
हमारी सब राहें ही 
अलग हो गयीं.... 
इन्हीं हाथों ने खिलाया
 जो फ़ूलों का जोड़ा, 
उसकी पंखुड़ियां भी 
बिखर सी गयीं...
भले ही गोद में कांटों के 
वो गुलाब था... 
सुख गयीं  वो 
पंखुरी अब....
जिसकी खुशबु
 मैं समेटता था।
तेरे नाज़ुक होंठ, 
थे जो पंखुरी के समान..
नशीली वो आँखे, 
जिसमें था मेरा सारा जहान..
एक समय इस दिल पर 
तेरा राज था.... 
मगर, आज तेरा वो तीखा 
वार था...
नहीं आना अब लौट कर 
तुम मेरे पास... 
नाजुक पंखुरी था 
तेरा हर एहसास..
बीते हर लम्हें जो, 
हमेशा रहेंगे....
 सबसे खास...


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