' मां बेटी में ' संवाद
एक बेटी कहती है....
दूर होकर भी जो खास है,
आप से ही मेरी जिंदगी का आस है।
आप पर मुझे पूर्ण विश्वास है,
आप मेरी हरेक एहसास है।
हां, मेरी मां बहुत महान है,
दिल नहीं करता आप से जुदा होने का,
पर बेटी हूं ना !
मायके छोड़कर जाना ही पड़ेगा।
दूजे पर के लिए बनी हूं ना,
सभी यहीं कहते हैं...
यें समय का भी क्या खेल है ?
जहां आपस में न कोई मेल है।
हम सोचते भी नहीं है,
और वक्त बीत भी जाती है।
मां मैं पीहर चली जाऊंगी,
तो आप भुला तो न दोगे।
तभी मां कहती है...
बेटी - बेटा मां बाप को भूल जाता है,
पर मां बाप संतान को कभी नहीं भूलते।
मां के इस मार्मिक वचन सुनकर,
मैं खुद की आंसू रोक न पाई।
**पुष्पा कुमारी
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