कबीर
निर्विकार ब्रह्म पराकाष्ठा
प्रीति मानिन्द कलेवर भीरू
कबीर माहात्म्य निर्वाण आस्मां
मार्गिक तुङ्ग अर्णव भव अपार
जकात उसूल नाही यथार्थ रही
अमाया परहित सर्वतोभाव
आडम्बर का माहुर व्याल
अधिक्षेप पिपासु अगण्य अश्मन्त
आरसी आगस अध्याहार नाही
वाम जगत अस्मिता जहल
इत्मीनान मृगाङ्क में नखत है
कर रहा इख़्तियार अर्दली धीर
शमा अङ्गार प्रस्फुटित नाही
प्रत्यागमन कर जा तमिस्त्रा में
ज्योति धवल समर का धार
पुनर्भाव अवतीर्ण मकर वारिधि
वियङ्ग अनुगामी महानिर्वाण कर
पामर यामिनी का शमशीर बन
ख़ालिक भव दिव अब्दि नफ़्स
शिति रश्मि सच्चिदानन्द " कबीर "
वरुण सिंह गौतम
रतनपुर बेगूसराय बिहार
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