जन्नत की ओर
मेरी कामयाबी की जश्न में
मचा रही है सारी दुनिया शोर ....
मगर मेरी निगाहें ये मुड़ी
है सिर्फ जन्नत की ओर ....
न जाने इस दिल ने कितने अपमान सहे
ताकि मिलने को मुझसे,..
हमेशा सब के अरमान रहें
एक दिन पूरी कायनात मेरा सम्मान करें ...
निकल तो गया हूं सफर में
मांगी हुई मन्नत की ओर
मगर चाह रही है राहें मुड़ना
तो सिर्फ जन्नत की ओर ....
उलझे पड़े थे इतने हम अपने सपनों की खोज में
ना जाने कब और कैसे यह राते बदल गई भोर में....
मेरी कामयाबी की जश्न में
मचा रही है सारी दुनिया शोर...
मगर उठे कदम यह मेरे
तो सिर्फ जन्नत की और.....
by palak shreya
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