अरुणिमा


अमरूद लीची तरबूज आम
आओ खाओ मेरे प्यारे राम
उछलो - कूदो खुशी मनाओ
सब मिल एक साथ हो जाओ

गर्मी आयी,  आयी बरसात
झूम-झूम झमाझम की रात
काले - काले अन्धियारे बादल
गड़ - गड़, गड़ - गड़ कौन्ध गदल

स्वच्छन्द मुल्क का परिन्दा हूँ
मैं हूँ इस घोंसले का बाशिन्दा
आचार्यों के बड़प्पन का क्या नजीर !
उनके निकेतन की क्या अन्जीर !

 देने आया मुबारकबाद ईद त्योहार
पैगंबर मोहम्मद का रहनुमा अनाहार
भाई - बहनों का अटूट बंधन है
प्रेम के धागों से होता रक्षाबंधन है

विजयादशमी है विजय का संदेश
कर्तव्य मर्यादा सत्यनिष्ठा का रहा उपदेश
दीपोत्सव आया आओ सब दीप जलाएं
घर में ढेर सारी हर्षोल्लास लाएं

 ठण्डी - ठण्डी हवाओं के सङ्ग
सब हो रहे हैं यहां अङ्ग - बङ्ग
वसन्त ऋतु मौसम बड़ा सुहाना
खेचर नाद क्या चुहचुहाना !

खालसा पन्थ की आदि ग्रन्थ महिमा
गुरु  पर्व  प्रतिष्ठापक  अरुणिमा
देखो क्रिसमस डे की प्रभा सितारा
ईसा मसीह आमद का अन्तर्धारा

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