स्वच्छन्द हूँ
रोटीं नहीं धरा चाहिए
परवश नहीं स्वच्छन्द हूँ
निर्वाण नहीं प्राण चाहिए
पद्याकर कलित अम्बुज हूँ
मानव हूँ कल्पित काया नहीं
आन-बान-शान की प्रभुता मेरी
कोरक प्रसून हूँ मुस्तकबिल काहीं
दिव्य व्योममान उन्मुक्त कनेरी
कोकिला का वसंत नाद हूँ
नखत अम्बुद क्षोभ विराम
शुन्यता अनश्वर गात हूँ
नैसर्गिक तरणि प्रबल अभिराम
पारावार का अभरम प्रवाही
दलक घोष अतृप्त नीर
अप्रगल्भ जलार्णव अम्बुवाही
सदा उठान हिल्लोल अशरीर
नीर व्योम धरा स्वच्छन्दता
ओज प्रकृतिमान भव्य भव
कणिका प्रकीर्णक इन्द्रच्छन्द
जीवन वृति आविर्भाव प्रभव
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