मैं मिल्खा हूँ


गिरी  का  दहाड़  नहीं
मैं  सागर  की  धार  हूँ 
देश  की  तवज्जोह  ही
मैं  चेतक  मिल्खा  हूँ 

कौन जाने मशक्कत मेरी
श्रमबिन्दु कलेवर जज़्बा
अभ्यस्त सदा हयात यदि
अक्षय नायक पथ प्रशस्त

न्योछावर मेरी  इस  ज़मीं
तामरस मुक्ता अब्धि नभ
खिरमन के उस सौगात 
महासमर कुसुम कली नहीं

अशक्ता  ही मेरी पुरुषार्थं है
पराभव नहीं,  अभिख्यान दस्तूर
स्पर्द्धा मन्वन्तर साहचर्य रहा
अवलुञ्चित  सौरभ  मधुराई

मेरी इतिवृत्त की दास्तां ऋक्
तालीम कर,  कायदा शून्य
तरणि  प्रभा उस  व्योम  का
मुक़द्दर मीन मै उस नीरधि


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