मौन क्यों हैं ?

मौन क्यों है विश्व धरा
रुग्णता का सर्वनाश कर
परिहार का कलश भरा
यन्तणा नहीं,  वफ़ात रहा
शून्यता का बटोही नहीं
कोलाहल भरी ज़िन्दगानी है
तमगा तामीर पुहमी परसाद
महाफ़िल  समाँ अख्तियार रहा
तृष्णा लश्कर हाट जहां
व्यभिचार घात साया है
आतप का वैभव है प्रचंड 
काश्त कल्लर गुस्ताख़ रहा
हीन क्षुधा निराहार विषाद
किल्लत निघ्न आरोह अभिताप
निश्छल नहीं,  प्रतारक परजा
पाशविक तशरीफ आलिङ्गन क्यों
क्या प्राच्य दस्तूर थी,  अब क्या है ?
झषाङ्क दिलकशी दर्भासन है
दुनिया के चलचित्र आख्यान
उच्छिन्न हो रहा ज्ञानशून्य त्रिकाल



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