दो पैंडेल


दो पहलूओं जीवन के
साइकिल के है बुनियादी रूप
दो पैंडेल के करीनों से
अग्रसर रहने का संदेश देती

पथिक की पथ की काया
निर्मल करती मलिन डगर
सहचर रहती  सदा हमारा
सतत् पोषणीय की धारणा

उज्ज्वल हो हमार परिवेश
करती रहती सदा हर काम
न  थकती  न  उफ करती
बढ़ती चलती हमार कदम

चौकस करती अचेतन मन को
ट्न - ट्न की स्वतः नाद से
रहो साथ हमारे प्रगतिशील
जन - जन तक पहुंचाती पैगाम

सादगी आसरा अलम्बित  सदा
पुनीत करती गरोह हमार
प्रभंजन  रफ़ाकत  सदा
पाक करती विश्वपटल राज

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