बरखा आई घूम - घूम के


 बरखा आई बून्द - बून्द के करते मृदङ्ग
बढ़ - बढ़ आँगन के चढ़ते - उतरते बहिरङ्ग
सङ्गिनी चली बयार की लीन्ही सतरङ्ग
जल - थल मिलन मिली छूअन हर्षित अनुषङ्ग

ओढ़ घूँघट के दामिनी स्वर में झूम - झूम 
आती क्षितिज से घूमड़- घूमड़ घूम - घूम 
घोर- घनघोर पुलकित आशुग ठूम - ठुमके 
स्पन्दन क्रन्दन में सङ्गीत रश्मि नूपुर - सी रुनझून

निशा बिछाती विभोर विरहनी सावन 
गुलशने निवृत्ति निझरि - सी स्वर आप्लावन 
पिक मीन सिन्धू वात तड़ित सङ्ग करावन 
हरीतिमा नभचर जीवन सृजन कितने मनभावन !

कर जोर विनती तुङ्ग धरा करती आलिङ्गन
इन्द्रधनुषीय छटाएँ छलकाएँ तरणि आँगन
कृष्ण राधा सखियाँ सङ्ग करती प्रेमालिङ्गन
हो धरा प्रतिपल प्रेमिल धोएँ ध्वनि लिङ्गन
 
हूँ - हूँ स्वर कलित भव में चिन्मय हुँकार
तड़ित ऊर्मि वारिद अँगन में अर्ध्वङ्ग धुङ्कार 
पन्थ- पन्थ पन्थी आहिश्वर रव ओङ्कार
मण्डूक ध्वनि नतशिर झमाझम बरखा झमङ्कार  

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