तन्हां मैं



उड़ जा धूल उस महिधर में
यहाँ धारा धार में द्वेष भरा 
मत रूक ढ़ाल तरणी को जगा
प्रवार वसन्त में गरल व्याल

पथ - पथ प्रतिशोध क्यों ज्वाला 
अवशी जीवन अवृत्ति विषाद
 छीन लिया तिनका नहीं है कुन्तल 
ओझल भी नहीं जीवन चषक

दिलकशी भरी कुच कीस हरण 
लूट गया हूँ सदेह सीकड़ में 
तीहा नहीं शाण उत्पीड़न में पड़ा
पीर आक्षेपी लौ कुढ़न कराह

 तन्हां मैं बिखरा रणभेरी समर में 
मुदित मशगूल रूपहली आभा
 ब्याधि रक्तिम मन्दाग्नि अङ्गार 
प्रखर नूर मञ्ज़िल नीड़ नहीं विस्मित
 
दुकूल भुजङ्ग तृण तिमिर अलङ्गित
क्षितिज में  मैं विलीन अनूप के 
गुञ्जित विरक्त कलसी इत्मीनान
इन्द्रधनुष उषा  अश्रु  अक्षुण्ण 

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