शून्य हूँ


दर्द दिलों में दृग अङ्गार के
बिखरी मैं दास्तां के पन्नों से
लौट आ तन्हां पतझर व्योम के
पिक बसन्त प्रतीर के दृश्य अतुल

स्वप्निल धार असीम  तुहिन  में
बढ़ चला क्षितिज किरणों में, मैं समीर
मत रोक मुझे प्रस्तर पन्थ तड़ित
मैं दीवाने मीत स्वप्न तमन्नाओं के

तरणि तपन श्रृङ्गार रग - रग में 
द्विज प्रतिबिम्बि मधुकर प्याले
आभा कस्तूरी मत्स्य - सी सौन्दर्य
सिन्धु - सी वनीता यामिनी हन्स

विहग ध्वज लहरी सरित् किश्त
रङ्गमञ्च रसिक नहीं  पन्थ रथी हूँ
विकीर्ण स्यायी लीन स्निग्ध में कुत्सित
कुण्ठित भव विभूत नहीं   स्वप्निल

बीन  स्वर  झङ्कृत स्पन्दन  में
रागिनी चक्षु हूँ  मैं प्रलय प्रचण्ड के
प्रथम जागृति थी करुणा कलित में
विकल चल शून्य हूँ बिन्दु कल के

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