मझधार
चल दिया लौट मैं दरमियान के
वक्त के तालिम बढ़ चला असमञ्जस
मैं विस्तृत नभचर अमोघ प्याला
अवनि चला चिन्मय अश्रु अर्पण सार
प्रथम स्तुति कलमा नव्य जागृत के
निर्लिप्त प्राची उषा के दिग्मण्डल
उर्ध्वङ्ग आवाह्न सृजन पराग झरा
चीरता पङ्खों से असीम चला
चिन्मय आतप मेरी सुषुप्त अचिर को
अनृत निष्ठुर आकीर्ण आतप अचिर नहीं
ध्वज दण्ड का विष दञ्श भरा
शलभ क्षणिक प्राण न्यौछावर दामिनी के
प्रभा पिराती है मुझे अन्तर्ध्वनि के मलिन
रुधिर रक्तरञ्जित कनक हरिण हिलकोर
सैलाब उमङ्ग नहीं पथ पखार विधान
आवरण रङ्गमञ्च यथार्थ सञ्चित विराग
दरिया आलिम मझधार में कम्पित मनचला
आहुति स्मृति स्वप्निल धूमिल शहादत
ज्वलित पङ्किल भस्मीभूत सुरभित
बह्नि तारकित शहादत शौर्य दुकूल
तिरोहित कोहरिल उन्मुत्त उन्मुक्त कजा
यह गात मेरे कजरारे क्लेश - सी विस्मित
काफिर शव शब गुञ्जित स्वर
कराली अङ्गीकार मुझे तप्त तीरे
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