चक्रव्यूह



कागज पन्नों की क्या कसूर
इतिवृत्त का भी सार किसका ?
निरीह स्वर के कलङ्कित राग
न जाने व्याथाएँ की क्या दस्तूर ?

क्या प्रारब्ध है चातक जाने ?
मन चला गर्जन घनघोर झुरवन
दीवानें भी सङ्गिनी चातक के
ऊँघते सौगन्ध प्रमुदित विह्वल

ढ़लकती ऊषा क्रन्दन व्याधि उन्माद
बरखा कब के लौट चलें नभ से !
ऊँघते क्रान्ति निरुद्वेग ओट अरुण
कड़कती निगाह तजनित पाश

मातहत भौन में भस्मीभूत काया
अविरत अङ्गीकार मुलम्मा ओछा
रञ्जीदा भव अवहेला शब खिजाँ
दरख्तो तड़ित पतवार पनघट के

इन्द्रधनुषीय – सी चिरप्यास घनेरी में
उत्स्वेदन ईजाद घनीभूत किसमे ?
आहत औरन के तनी जाने कौन ?
कजरारे दिग्मण्डल प्राची भी ओझल

खण्डहर- सी शोहरत अर्सा के
क्या कदर क्यों कोहारिल से ?
निष्ठुर दीपक भी नूर मञ्ज़िल नहीं
यह पौन धरा के भार भी क्यों ?

प्रलय नियरे किन्तु अर्जुन नहीं
कृष्ण शङ्खनाद सार कौन समझें ?
चक्रव्यूह समर के, क्यों अभिमन्यु ?
यह प्रतिद्वदी प्रतिक्षण का क्या निस्तेज ?

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