तस्वीर


दीप प्रज्ज्वलित मेरे तन को
हृदय में छायी शौर्य गाथा दस्तूर
वतन - वतन कर रहा तेरी पुकार मुझे
खून धार सीञ्चे दीवाने चलें हम

हिमालय गङ्गा धरती करें हूँकार
सान्स - सान्स  तेरे करें हम फिदा
दुल्हन दामन सन्स्कृति अम्बर
एहसास हमारी बढ़ते - बढ़ते कदम

सरहद कुर्बानी दौलत बनें हम
नतशीर हूँ उन मातृभूमि बलिदानी
जले जुर्म शोला बरसे दामन
गङ्गा सिन्धु ब्रह्मपुत्र धोएँ तस्वीर

हुस्न इस्क मौसम का नहीं रुसवा
पग - पग विहग पन्थ ध्वनि झङ्कृत
ऋषि - मुनि गुरुवरों का करतें वन्दन
सत्य अहिन्सा धर्म के वाणी बने हम

पूँछ रहा भव क्यों रक्तरञ्जित मैं ?
मैं ठहर गया क्षणिक विभीत - सा
हो चला स्पन्दन क्यों दर्द भरा ?
निष्कृष्ट   धार   निहत  नशा

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