बच्चे जा रहें हैं







क्या आफत आ पड़ी यहां
पौ फटी ,  बच्चे जा रहें हैं
कहाँ ? , काम  करने
समस्या का बोझ इतना दबा 
बच्चे भी लगे जाने काम

गरीबी की स्याही  में विलीन
अर्थ सङ्कट का विषाद भरी
भोजन - भोजन के तरसते लोग
क्या उसकी गुनाह की ताज़ीर ?
या  पाछिल कर्म  की  प्रायश्चित्त !

बञ्जारा दिलगीर बच्चों की टोली
एक परतल लिए भँगार मे इस्लाह
आपा खोए मिलते नित  इर्द-गिर्द
मुस्तकबिल   प्रभा   दफ़्ना   के
यतीम तफ़रीह शाकिर परवरिश 

रङ्ग - बिरङ्गे इन्द्रधनुष की वितान
पुष्प कलित  आबदार  प्रस्त्रवण
मेघ दामिनी  नूतन  अश्रु  बहार
नव कोम्पल उद्भव पुष्कर पिक नतशीर
फिर बच्चे क्यों हैं अभिशप्त लाञ्छन ?

विकराल प्रतिच्छाया क्षितिज इफरात
ज्वार कहर दहन आरसी  प्रहार
मरणासन्न के शून्यता में समाधित
दोज़ख मधुशाला में इन्तिहा धरा
दुनिया आगाह कदाचित्  आगाह




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रामधारी सिंह दिनकर कविताएं संग्रह

मेसोपोटामिया सभ्यता का इतिहास (लेखन कला और शहरी जीवन 11th class)

आंकड़ों का सारणीकरण तथा सारणी के अंग Part 2 (आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण) 11th class Economics