क्यों हैं तड़पन ?
क्या तृष्णा टूट पड़ी यहाँ ?
इस भिखमङ्गों के बाजारों में
कोई अट्टालिका खड़ा करता जाता
किसी की अँतड़ियाँ अङ्गारो में
पथ - पथ पर क्या कुर्बानी है ?
त्राहि - त्राहि कर रहा मानव
भ्रममूलक का जञ्जाल यहाँ
कोई रोता तो कोई चिल्लाता यहाँ
हाहाकार की नाद देखो गूञ्ज उठीं !
अशरत की पुजारी बन बैठे यहाँ
जख्म भरी धज्जियाँ फटेहाल
घूँट - घूँट में उगलती विष उत्पीड़न
रुधिर विरहित उत्कोच कफन
आधि - व्याधि के आततायी आतप
क्या शामत है उस कण्टक डङ्क में ?
घृणित - सी चिरायँध बिथा मर्दन
अपाहिज अर्सा में क्यों हैं तड़पन ?
कटि कटी - सी क्लेश भरी कङ्गला
इस आरोहण में भी क्यों हैं कण्टक ?
लानत खलक में क्यों रन्ध्र भरी ?
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