मेरे गुरुवर


शिक्षा दाहिनी मेरे गुरुवर 
प्रभा प्रज्ज्वलित हो तिमिर में
मैं छत्रछाया हूँ आपके अजीर के
पराभव अगोचर आपके चरण में

पथ - पथ प्रशस्त रहनुमा हमारे
कुसीद में साँवरिया आपके भव
घन - घन वारि इल्म विस्तीर्ण
अक़ीदा प्रज्ञा नय सन्स्कार अलङ्कृत

आराध्य करूं मैं कलित नव्य हयात
पारावार मीन  हूँ  तड़पित  खल
तेरी करुणा आनन्दित सरोवर
अवलम्ब श्रीहीन अङ्गानुभूति धरा

निश्छल पैग़ाम तहजीब बसेरा
शून्य  शिथिल  में  मै तर्पित
दामिनी प्रारब्ध अकिञ्चन धार
दहलीज  तेरी  याचक  नूतन

चक्षु  बूँद  स्मृति  धूल  मैं
नतशीर सदा उज्ज्वलित बिरद
गिरि दिव में मार्तण्ड स्पृहा
जय ध्वनि दीप्ति क्षितिज में

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रामधारी सिंह दिनकर कविताएं संग्रह

मेसोपोटामिया सभ्यता का इतिहास (लेखन कला और शहरी जीवन 11th class)

आंकड़ों का सारणीकरण तथा सारणी के अंग Part 2 (आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण) 11th class Economics