बाजार

सारा संसार बाजार है
हॉट बाजार गुलजार है
यहां हर माल बिकाऊ है
हर वस्तु धन हो जाता है

गुणो, मूल्यों, परस्पर संबंधों
पैसे में सब बदल जाते हैं
हर रिश्ता और मनोभावों
की कीमत लगाई जाती है

प्रकृति की हुए सभी वस्तुएं
जो सबको मुफ्त मिलती थी
आज उन सभी वस्तुओं पर
मूल्य तालिका टंग गयी

जामुन, बेर, बेल, शहतूत
सभी बाजार में बिक रहे हैं
पानी बिकता रोशनी बिकती
बातचीत में पैसे देने पड़ते हैं

मदर डे माता का प्यार
फादर डे पिता का दुलार
प्रेम दिवस में फूलों का बहार
बिक रहे हैं खुला बाजार

रक्षा  बंधन  का  त्यौहार
सज गया राखी का बाजार
पैसे से ही आंख आ जाता है
भाई-बहन  का  मधुर प्यार 

अलग-अलग प्यार के
अलग-अलग उपहार हैं
रंग- बिरंगे कार्ड बिकते हैं
और एसएमएस भेजे जाते हैं

गरीबों का अनाज बना भगवान
कुरकुरे मकई का अवतार हैं
बाजरा की रोटी छिपी पैकेट में
सत्तू शीतल पर बन गया है

क्रय शक्ति जब घट जाती है
बाजार में मंदी छा जाती है
जब नफा कम हो जाता है
तब सरकारें हिलने लगती है

आर्थिक सुधार की आवाजें
चारों ओर घूमने लगती हैं
बड़ी-बड़ी कंपनियों को तब
रियायत मिलने लगती हैं

पेट्रोल गरम हो जाता है
पेंशन भागने लगता है
मजदूरों की छटनी होती है
किसान स्वर्ग जाने लगते हैं

आश्वासन की मिठाइयां
सरकार बांटने लगती हैं
विवेक अंधा हो जाता है
बंदूक से शासन चलता है

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