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वीणा मधुर- मधुर कुछ बोल

माता के तन पर नहीं कपड़ा भूख से बच्चा बिलबिला रहा ह्रदयहीन संसार देख रहा खुल रहा शासक दल का पोल वीणा मधुर-मधुर कुछ बोल वीणा गाओ कुछ ऐसा गान  जोश से भर जाय नव जवान उथल-पुथल मच जाए बढ़ जाए मानवता का मोल वीणा मधुर-मधुर कुछ बोल वीणा से ऐसा स्वर निकल आए जग से  विकृति मिट जाए मानव-मानव का भेद मिट जाएं आर्त्तोजनों में जीवन रस घोल वीणा मधुर-मधुर कुछ बोल ईर्ष्या द्वेष से भरा यह संसार नहीं मिलता किसी को भी किसी का मधुर प्यार मिट रहा जीवन अनमोल वीणा मधुर-मधुर कुछ बोल वीणा कुछ ऐसी तान सुना झंकार उठे दिल का तार प्यार से भर जाए यह संसार निकले सब मुख से मीठा बोल वीणा मधुर-मधुर कुछ बोल लेखक:-वरुण कुमार

राम का महत्व

हर वर्ष यहां माता दुर्गा की सर्वत्र पूजा होती आयी है दृश्य महिषासुर वध का मनोहर मूर्तियां बनती हैं पर्दे के पीछे शिव देखते युद्धरत अपने परिवार को गणेश,कार्तिक, लक्ष्मी, सरस्वती हथियारों से लैश देखते सबको मूर्तियां सजीव हो कहतीं कथा महिषासुर वध की दुर्गा मार रही महिषासुर को प्राण व्याकुल हो रहे हैं उसके हम नहीं जलाते पुतला महिषासुर परिवार का हम क्यों जलाते पुतला ? रावण के सपरिवार का ?   रावण युद्ध के समय राम ने पूजा की थी मां भगवती की पूज्य का कोई महत्व नहीं पुजेरी का क्यों महत्व हुआ ? यहां  दृश्य  नहीं  है  कोई राम रावण के युद्ध का महिषासुर दुर्गा को भूलकर क्यों जश्न मनाते राम का ? दुर्गा थी शिव परिवार की पूज्या थी अनाथालयों की सहन नहीं हुआ आर्यो को इसलिए महत्व मिला राम को लेखक:-वरुण कुमार

विकास

राजनैतिक आजादी मिली आर्थिक आजादी लानी है है पूंजीवादी जनतंत्र यहां जनवादी जनतंत्र लाना है। रुक जाओ पीछे घूम जाओ आगे-आगे कदम बढ़ाओ कदम-ताल पर चलना है राजतंत्र की ओर जाना है। राजा का दरबार लगा है प्रजा का दुखड़ा सुनाना है सामूहिक समस्याओं का निदान हमें नहीं करना है। जहांगीर ने लटका दे जंजीर खींचो उसको अपनी बात कहो तुम को न्याय मिले ना मिले गदहा को अवश्य मिलेगा धरती की खुदायी करने से इतिहास की खोज होती है सिंध  घाटी  की   सभ्यता संसार को पता चलता है अब पुराणों के पन्नों में खोजो इतिहास छिपा है पढ़ो तुम दंत कथाओं को समुद्र मंथन की कहानी छपी है देवताओं और राक्षसों के श्रम से रत्न और अमृत आया था लक्ष्मी गयी विष्णु के घर जहां क्षीर का समुंद्र था। देवता पी गए सब अमृत राक्षस सब ठगे गए थे उनके गुरु शिव को ही जहर पीना पड़ा था। विश्वास करो गंगा-संगम पर सिंधु जल लहरा रहा था आज हमें भी मंथन करना है रत्न और अमृत लाना है। गंगा के घाट घाट पर कुंभ का मेला लगाना है हर मेले में उत्पाद बिकेगा कंपनी घर लक्ष्मी को जाना है। भक्तों के जेब कट जायेंगे निठल्ले साधु रत्न पावेंगे अमृत राजनेता...

चुनाव

चुनाव  चुनाव  का  खेल आओ सब मिलकर खेलें राजनीतिक बिसात बिछावें  तब शतरंजी की चाल चलें आओ सब मिलकर खेलें। चुनाव के  महाकुंभ  में आओ  डुबकी   लगाएं मौसम का मूड बदलता है आओ हम भी बदल जाएं आओ सब मिलकर खेलें। फूलों और गुलदस्तों से हम आदान-प्रदान करें घृणा और  दुश्मनी को भूल कर हम मिल जायें आओ सब मिलकर खेलें। कुर्सी तक पहुंचना है कैसे  जुगाड़  लगावें ? कुर्सी पर खीर का कटोरा कहो  कैसे  उसको  पावें आओ सब मिलकर खेलें। हो गया अंत विचारों का पार्टियों से गठजोड़ करें दिल मिले ना  मिले  पर हम हाथ मिलाकर चलें आओ सब मिलकर खेलें। मेनीफेस्टो सब  गुड हो गॉड  का  धुन   बजावें आओ दिल का दर्द गायें जोड़ों  का  दर्द  छिपाएं आओ सब मिलकर खेलें। वाद्य मेरा,  सुर  तुम्हारा लेकर प्रतीक और मूर्तियां रिश्ते हैं हमारे सदाबहार गठबंधन और  कुर्सियां आओ सब मिलकर खेलें। तुम चलो  डाल-डाल मैं चलता हूं पात-पात फिर भी सत्ता का गठबंधन दुश्मन को करता है मात आओ सब मिलकर खेलें। मेरे मु...

दल और नेता

राजनीति  के  आकाश  में गहरा  कोहरा  छा  गया  है जनजीवन  प्रदूषित  हो गया सब का जीना हराम हो गया है राजनीति  भ्रष्ट  हो  गयी सत्य का सूरज छिप गया है घोटाले  आंखें  दिखा  रहे ईमानदारी थर-थर कांप रही है दल सभी  भ्रष्ट हो गए विकल्प नहीं सूझ रहा है बुद्धि विवेक कुंद हो गया अंधविश्वास बढ़  रहे हैं भ्रष्ट नेता  और  कम्पनियां यह दौर दिवाली मना रही हैं दलित-पीड़ित  जनता का दिवाला  निकल  रहा  है वामपंक्षी दलों को छोड़कर और सब दिल हैं एक समान उनके हाथ जाने के गले के पास हो रहे पूंजीपतियों पर कुर्बान सरेआम  खुले  बाजारों  में खोटे  सिक्के  चल  रहे क्षहैं नैतिक नियम बेकार शब्द हुए ठगी-धोखे का बाजार गर्म है मक्कारी भरे चाल चल रहे लालच भरे पंजीम आ रहे हैं धूर्तता बड़ी आंखें चमक रही संवेदनशील लोग परेशान हैं समझौते का सिद्धांत टूट रहा भारत का लोकतंत्र भटक रहा है मनाते महंगी की रजत जयंती भूख  का  धुआं  फैल  रहा  है पेट जल रहे अहिंसा चूक ...

बाजार

सारा संसार बाजार है हॉट बाजार गुलजार है यहां हर माल बिकाऊ है हर वस्तु धन हो जाता है गुणो, मूल्यों, परस्पर संबंधों पैसे में सब बदल जाते हैं हर रिश्ता और मनोभावों की कीमत लगाई जाती है प्रकृति की हुए सभी वस्तुएं जो सबको मुफ्त मिलती थी आज उन सभी वस्तुओं पर मूल्य तालिका टंग गयी जामुन, बेर, बेल, शहतूत सभी बाजार में बिक रहे हैं पानी बिकता रोशनी बिकती बातचीत में पैसे देने पड़ते हैं मदर डे माता का प्यार फादर डे पिता का दुलार प्रेम दिवस में फूलों का बहार बिक रहे हैं खुला बाजार रक्षा  बंधन  का  त्यौहार सज गया राखी का बाजार पैसे से ही आंख आ जाता है भाई-बहन  का  मधुर प्यार  अलग-अलग प्यार के अलग-अलग उपहार हैं रंग- बिरंगे कार्ड बिकते हैं और एसएमएस भेजे जाते हैं गरीबों का अनाज बना भगवान कुरकुरे मकई का अवतार हैं बाजरा की रोटी छिपी पैकेट में सत्तू शीतल पर बन गया है क्रय शक्ति जब घट जाती है बाजार में मंदी छा जाती है जब नफा कम हो जाता है तब सरकारें हिलने लगती है आर्थिक सुधार की आवाजें चारों ओर घूमने लगती हैं बड़ी-बड़ी कंपनियों को तब रियायत मिलने लगती हैं पेट्रोल गरम हो जाता है...

समय

निर्झर सदा बहता रहता है समय चलता रहता है जीवन धरा में बहता है गति ही सब का आधार है निर्झर कभी नहीं रुकता समय कभी नहीं थमता अगर जीवन रुक जाए तो उसे ही मौत कहते हैं समय छोटा-छोटा होता है जीवन रुक-रुक कर चलता है व्यवधानओं की आंधी में ही तो नदी-नाव अलग हो जाते हैं जब जीवन में क्रांति आती है समय नवीन को जन्म देता है मानव कुछ कर दिखाता है समय इतिहास बन जाता है सूखा में खेत सूख जाते हैं वर्षा में अंकुर उग आते हैं ध्वंस और निर्माण के बीच नए समय में कदम रखते हैं जवानी बचपन नहीं लाती बूढा बात जवानी नहीं आती समय की सुई भी तो यार कभी उलटी नहीं घूमती

नारी

पुरुष  वर्चस्व   के  आधार  पर भारत  का    समाज  बना  है पुरुष  स्वामी  नारी  अनुचर  है बागीचा नारी पुरुष रमण करता है  नारी  है  एक  सजीव  गुड़िया पुरुषों    उसे    सजाता   है अपनी  ही सजावट  को देख नारी   मुग्ध  हो  जाती   है दूधमुंहे   बच्ची  को   माता नाक- कान    छेद   देती   है जानवरों को नाक कान छेद कर रस्सी   से   बांधा   जाता।  है नारी  घर  की  फालतू  संपत्ति उसको  दूसरे  घर   जाना  है पर  जहां  कहीं  वह  जाएगी बाप की पगड़ी लेकर जाना है बाप   की  पगड़ी  की  रक्षा बेटी  जीवन  भर   करेगी बेटे  को  क्या  है  परवाह वह  है  वंश  की   बेली नारी  है   प्राइवेट...