शहीद अमित राज का गाथा


उन बिहारी वीर अविनाशी सपूतों की गाथा
नालंदा है जन्म भूमि स्थल उन वीर पराक्रम का
उनका शौर्य, साहस की गाथा इस तरह बयां
करती हैं, जिससे रूह भी कांप उठे और दिल भी धधक उठे ।


उन बहादुर वीरों की दास्तां जो आग की लपटों को हृदय लगाया,
उन जौहर के लपटों में तीन बच्चों को हिफाजत कर मानवता का कर्ज उतारा और अंततोगत्वा धराशाई हुआ 
उनको नमन, उनको नमन, उनको कोटि-कोटि नमन ।


वैश्वानर से उनकी गात छिन्न-भिन्न हो गया था 
कौतूहल-सा दृश्य देखकर लोग क्रंदन हो रहे थे
शोले होने थे सभी आंखों में बहती जलधारा थी
वहीं वहां के महानायक थें वहीं वहां के वीर सिपाही ।


उन कुर्बानी का दीपक घोर अंधियारा-सा छा गया
अश्रुधार जब तेज हुई थरथर कांप रही थी मां,
आंखों में आंसू भर कर मां का आश्रय छूट गया
बात बहुत गहरे मातम थीं लोगों के अंदर अश्रु फूट रहे थें ।


वह पद्रह साल का शूरवीर सैनिक स्कूल पुरूलिया के कैडेट दसवीं का बिहारी अमित राज था,
वह वीर जिनका बचपना गया नहीं, उनकी वीरता और हिम्मत के गाथा को सुन लोग हतप्रभ हो जाते हैं ।


उन कुर्बानी के दीपक को देख सुर्य भी शर्माने लगता हैं
उनके लिए हिमालय भी कंधा देने को लिए झुक जाते हैं,
कुछ पल सागर के लहरों का गर्जन रुक जाता है
उनकी गाथाओं को लिखने से अंबर भी छोटे पड़ जाते हैं ।


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