पंञ्चमंत्र




गड़्गा सरस्वती सिन्धुर्ब्रह्मपुत्रश्च गण्डकी।
कावेरी यमुना रेवा कृष्णा गोदा महानदी।।1।।

अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका।
वैशाली द्वारिका ध्येया पुरी तक्षशिला गया।।2।।


महेन्द्रो मलयः सह्यो देवतात्मा हिमालयः।
ध्येयो रैवतको विन्ध्यो गिरीश्चारावलिस्तथा।।3।।


नागार्जुनो भरद्वाज आर्यभट्टो बसुर्बुधः।
ध्येयो वेंकटारामच्य विज्ञा रामानुजादयः।।4।।


चाणक्यचन्र्दगुप्तौ च विक्रमः शालिवाहनः।
समुन्द्रगुप्तः श्रीहर्षः शैलेन्द्रो बप्परावलः।।5।।

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