पर्यावरण का विकास जरूरी है

सततपोषणीय विकास के लिए पर्यावरण का विकास होना जरूरी हैं।हमलोगो का जीविकोपार्जन के लिए पेड़-पोधौ का होना अतिआवश्यक हैं।हमारा इतिहास साक्ष्यी है कि आदिमानव भी पेड़-पौधौ पर ही जीवनयापण और उस पर ही निर्भर रहते थें।आदि मानव अपना भोजन से लेकर घर तक पेड़ो का इस्तेमाल करते थें।आज भी हमलोग इसी पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर रहते हैं।हमारा कई धर्मो के परंपराएँ मे भी पेड़-पौधो को भगवान की तरह से पूजा करते है ,उदारणतया हिन्दु धर्मो के कई पर्वो मे पेड़-पौधो की प्रधानता रहती हैं।जैसे बरसात(वट सावित्री व्रत) ,हर वृहस्वतिवार के केला वृक्ष को पूजा देकर नारायण की पूजा की जाती है,उसी तरह हर शनिवार को पीपल वृक्ष मे माँ और बहनें का जल देना आदि परंमपराएँ हैं। ईसाई धर्म के पर्व मे क्रिसमस डे भी इसी आधार पर हैं।हमारी परंमपरा भी वृक्ष को बचाने की भूमिका भी अदा करती हैं।

वृक्ष ही नही वायु,जल,वन्यजीव,भू-स्तर और जीव-जन्तु आदि की परास्परिक संबंध स्थापित करना ही पर्यावरण को बचाने की प्रक्रिया हैं।आधुनिक काल मे मानव हर हमेशा पर्यावरण का सर्वनाश ही किया हैं।कभी घर बनाना तो कभी उद्योग स्थापना करना इसे संकंट मे लाकर खड़ा किया हैं।प्रतिवर्ष वन मानव की आवश्कता के कारण अधिक मात्रा मे काटे जा रहे हैं।इसका कारण जनसंख्याका बढ़ना ही मूल कारक हैं।हमे अब "छोटा परिवार ,खुशी परिवार"नीति अपनाना होगा।जो देश को समृद्ध कर सकता है और आने वाले पीढ़ी के लिए कल्याणकारी सिद्ध हो सकता हैं।हमारा भारत देश जनसंख्या की दृष्टिकोण से भारत का दूसरा स्थान हैं।2011 के  जनगणना के अनुसार 1,21,01,93,422
 इतना थी,जहाँ जनसंख्या घनत्व 382/वर्ग किलोमीटर थी।आगे आने वाले जनगणना मे यह आकड़ा दोगुणा भी हो सकता हैं। इस कारण यह अत्यंत जरूरी है कि पर्यावरण का विकास कैसे करे ?इसके लिए क्या-क्या योजना बनाया जाय ? नई सोच के साथ हरेक सदस्य को आगे आना होगा।

धन्यवाद,
यह अपने विचार हैं।
लेखक -वरूण कुमार



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