बंधन
आशा से आकाश थमा है
यह सदा दुखदाई होती है
आशा की डोरी में लिपटा
जंग में मानव बांधा है।
प्रकाश सुख अंधकार दुख
जीवन में आता रहता है
दस्तक दो दरवाजा खुलेगा
दिया जलाओ अंधेरा मिटेगा
आशा और अरमान दोनों
मानव का एक बंधन है
मानव मन सदा मुक्त रहता है
वह बंधन नहीं चाहता है
प्रेम की डोरी में जो जीव बंधा
वह वियोग में दुख पाता है
स्वाति बूंद की आशा में
चातक प्यासा रह जाता है
ओस कुछ बूंद पीने से
क्या प्यास बुझ पावेगी ?
पर्दा सदा नहीं रहता
एक दिन राज खुलेगा ।
मानव मन उन्मुक्त गगन में
मुक्त हो उड़ना चाहता है
बंधन को तोड़ने में उसको
सदा आनंद मिला करता है ।
टिप्पणियाँ